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विचारों के पीछे का विज्ञान

Oshin Sahare

अभी तक कई चीजों पर विचार किया, क्या कभी ये सोचा कि विचार का अर्थ क्या है, यह क्यों है, कैसे हैं? शायद नहीं !चलो चलते हैं विचारों का विचार करने के लिए मजबूर करने वाले इस मजेदार वैज्ञानिक सैर पर यह जानने के लिए क्या है विचारों का विज्ञान।

विज्ञान के अनुसार ऐसे भौतिक संस्थाएं ( फिजिकल एन्टिटीएस )जो दिमाग में कुछ रासायनिक बदलाव(chemical changes ) लाये जिसके परिणाम शरीर पर हो वह हैं विचार।हमें यह ज्ञात है किसी भी चीज का विचार करना या उसे वास्तविकता में करने के लिए शरीर के किसी भी अंगों को कंट्रोल करने का काम हमारा दिमाग(brain) करता है। दिमाग हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। दिमाग के दो पहेलु है, चेतन(conscious) अथवा तर्क करने वाला स्तर और दूसरा अवचेतन(subconscious) अथवा तर्क हिन् का स्तर|हमारा अवचेतन दिमाग बर्फ के पहाड़ की तरह होता है, जो सतह से ऊपर जितना दिखाई देता है, उससे कहीं ज़्यादा सतह के नीचे होता है, जो हमें नहीं दिखाई देता।मनुष्य का चेतन मन केवल १० फ़ीसदी (percentage) ही होता है और बचा हुआ ९० फ़ीसदी अवचेतन मन होता है। अवचेतन मन यह एक तरह से स्टोरेज रूम की तरह काम करता है। यह हमारे अनुभवों ,विचारधाराओं का संग्रहण करता है और इसी अनुभव के आधार पर जब भी हमें कोई विचार आए हमारा चेतन मन सवाल खड़े करता है, तर्क करता है और सोच समझकर निर्णय लेता है। चलिए इसे उदाहरण लेकर समझते हैं, मानो आपको स्टेज पे जाने से डर लगता हैं उसका कारण यह हो सकता हैं कि कभी आपने अपने मित्रों के सामने कुछ प्रस्तुत किया हो और वह उस पर हंस पड़े ,या फिर आपने ये विचार बना लिया हो कि लोग हसेंगे ,और यदि ऐसा बार-बार हुआ हो तो यह आपके अवचेतन दिमाग में जाकर बस जाएगा कि जब भी आप कुछ प्रस्तुत करते हैं लोग आप पर हंसते हैं अगली बार जब भी आपको कुछ प्रस्तुत करना हो आप अवचेतन मन में बैठे उन घटनाओं के बारे में सोचेंगे और मन ही मन उसकी कल्पना करेंगे यह सीधा जाकर आपकी तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को उत्तेजित कर देगी और यह आपके मन में डर पैदा करने वाले कुछ हॉर्मोन (अंदरहि अंदर खून में मिलकर उत्तेजन पैदा करने वाला तत्व) बनाएंगे जिसके कारण आप तेज धड़कने महसूस करेंगे, ब्लड प्रेशर बढ़ जाएगा और घबराहट सी होगी।कई बार सुना हैं कि इंसान वैसा ही बनता है जैसे उसके विचार होते हैं पर ऐसा क्यों? यह इसलिए क्योंकि जो हम अपने दिमाग को बार बार सूचना देते हैं (विचार करते हैं) अवचेतन दिमाग उसे संग्रहित कर रखता हैं और उसी के आधार पर चेतन मन अपनी तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम )को दिशा देकर ऐसे रसायन बनाता हैं जिसका सीधा परिणाम शरीर पर होता हैं , स्वास्थ्य सलाहकार मानते हैं कि लगातार निराश महसूस करने पर सिरोटोनिन नामक रसायन का स्त्राव कम हो जाता है। इस रसायन से हमारे मन के अच्छे बुरे भावों से सीधा संबंध है। इससे हम समझ सकते हैं , जो हम बार बार सुनते हैं या जो विचार करते हैं वह अपने अवचेतन मन में बैठ जाता हैं और उसी के आधार पर हमारे कार्य होते है क्यों की चेतन मन हमे उसी के अनुसार दिशा देता है|हमारी भावनाओं और रचनात्मक मस्तिष्क का रहने का स्थान अवचेतन मन है|इसीलिए कहा जाता हैं की हमारे विचार हमारे शरीर पर सीधा प्रभाव डालते हैं।

अभी विचारों का दूसरा पहलू देखते हैं,हम सबने ये अनुभव किया हैं की कुछ विचार हमारे ऐसे होते हैं जिसे सोचने पर हमारी कल्पनाशक्ति प्रवृत्त हो जाती हैं और हम जो सोच रहे होते हैं उसकी कल्पना करने लग जाते हैं , मजेदार बात यह है कि, किसी चीज को बस सोचकर उसकी कल्पना करना या उसे वास्तविकता में करना इनके बीच का अंतर यह अवचेतन दिमाग समझ नही पाता। न्यूरोसाइंस कहता हैं कल्पना करते वक्त दिमाग के अंदर बनने वाले तंत्रिका मार्ग (neural pathways ) तथा उसे वास्तविकता में करते समय बनने वाले तंत्रिका मार्ग समान होते हैं ,यानी यदि आप केवल कल्पना भी कर रहे हो तो यह अवचेतन दिमाग यही मान के चलेगा कि यह चीज वास्तविकता में हो रही है, तो जो भी आप कल्पना करेंगे दिमाग “तंत्रिका मार्ग” बनाएगा और जितनी बार आप वही दोहराते जाएंगे वह तंत्रिका मार्ग उतना मजबूत बनते जाएगा और अवचेतन दिमाग उस प्रकार स्वीकार करते जाएगा और आपका शरीर वही करने में जुट जाएगा जैसे कल्पना आपने की होगी | अंग्रेजी में इसे कहा जाता है "न्यूरोसाइंस बिहाइंड विजुलाइजेशन"। हमारा दिमाग हमारे सोच की प्रकृति के अनुसार उसकी रचना करता है|नकारात्मक विचार अवचेतन मन में विपरीत कार्य करते है| याद रखे, अवचेतन मन इस बात को सिद्ध करने के लिए नहीं लगा रहता की हमारे विचार अच्छे है या बुरे, सच्चे है या झूठे लेकिन यह विचारों अथवा सुझावों की प्रकृति के अनुरूप अपनी प्रतिक्रिया देता है| इससे हम समझ सकते है के सही दिशा में सोचना, सही सोचना कितना आवश्यक है! अवचेतन मन है जिसे हमारे शरीर के हर अंग और हमारे हर कार्य कलापों को सही करने का तरीका पता होता है|

इतनाजाननेकेबाद सोचें केविचारोंपरविचारकरनाआवश्यकहैं यानही !

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